12 सवालों में भजनलाल के मुख्यमंत्री बनने की कहानी:मोदी ने चुनाव से पहले कर दी थी प्लानिंग, क्या डमी सीएम होंगे, बाकी नेताओं का क्या होगा
अभिनय ऐसा कि- जब विधायक दल की बैठक के लिए सब जाने लगे तो बीच में भजन लाल शर्मा एकदम ऐसे जा रहे थे कि कोई आइडिया भी नहीं लगा सकता कि यही राजस्थान के मुख्यमंत्री बन रहे हैं. और फिर वो हुआ जिसका अंदाजा किसी को नहीं था.
तीन दिसंबर को नतीजे जितने दिलचस्प राजस्थान के रहे. 12 तारीख को उतनी ही रोचक वो प्रक्रिया रही जिसमें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को चुना गया. विधायक दल की बैठक में सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे पहली बार के विधायक भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जाना है. पहली लाइन में बैठे बड़े दावेदारों की फोटो अच्छी आई है. लेकिन आखिरी पंक्ति में कार्यकर्ता की तरह ही खड़े विधायक भजन लाल शर्मा का मुख्यमंत्री बन जाना चौंकाता है.
बीजेपी ने लगाई चौंकाने की हैट्रिक
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को विदा करके विष्णु देव साय को सीएम बनाने से शुरु हुए चौंकाने का काम फिर मध्य प्रदेश में शिवराज को विदा करके मोहन यादव चौंकाते हुए जारी रहा.
इसके बाद मंगलवार को राजस्थान में वसुंधरा राजे को पीछे करके आगे भजन लाल शर्मा को करते हुए चौंकाने की हैट्रिक बीजेपी ने लगाई.
राजस्थान में क्यों चुने गए भजन लाल
भजनलाल शर्मा को चुनकर अगर आपको लगता है कि सिर्फ राजस्थान में नए नेतृत्व की शुरुआत बीजेपी ने कर दी है तो ये कहना सीमित होगा. क्योंकि कहा जा रहा है कि राजस्थान से भजन के जरिए उस दांव को बीजेपी ने चला है जो सिर्फ राजस्थान तक सीमित ही नहीं रहेगा.
- भजन लाल शर्मा ब्राह्मण हैं.
- राजस्थान में 1990 में हरिदेव जोशी आखिरी ब्राह्मण सीएम थे.
- राजस्थान में बीजेपी ने 33 साल बाद फिर से एक ब्राहमण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया है.
- उत्तर भारत में अभी राजस्थान पहला राज्य है, जहां ब्राह्मण मुख्यमंत्री होगा.
- यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में ब्राह्मण चेहरे डिप्टी सीएम तो बने लेकिन सीएम नहीं.
- ऐसे में एक झटके में ब्राह्मण को ही सीएम बनाकर ये धारणा तोड़ी गई कि डिप्टी सीएम पद से संतोष ब्राह्मणोंको करना होगा.
- अब ब्राह्मण वोट का हिसाब देखिए. उत्तर भारत की बात करें तो राजस्थान में ही 8 फीसदी ब्राह्मण हैं, यूपी में 10 से 12 प्रतिशत ब्राह्ण वोट बताए जाते हैं, हिमाचल प्रदेश में 18 फीसदी हैं, मध्य प्रदेश में 6 प्रतिशत, बिहार में चार फीसदी बताया गया है.
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राजस्थान में ब्राह्मण वोट के क्या मायने?
ब्राह्मण वोटर आबादी में जितना होता है, उससे ज्यादा प्रभावी होकर वोट देता है. तब क्या ब्राह्मण भजन वाले दांव से एक पूरा सर्किल पूरा किया गया है. जो छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम बनाकर शुरु होता है. फिर मध्य प्रेदश में ओबीसी चेहरे को चुनकर राजस्थान में ब्राह्मण भजन के साथ पूरा हुआ है.
भाजपा को थी ब्राह्मण की तलाश
छत्तीसगढ़ में आदिवासी और एमपी में ओबासी को सीएम बनाने के बाद ब्राह्मण चेहरे की तलाश थी. चार दिन पहले ही दिल्ली में बैठक बुलाई गई थी. जिसमें ब्राह्मण चेहरे के नाम पर चयन भजनलला का हुआ. इसके अलावा टीम राजस्थान में प्रेम चंद बैरवा, दीया कुमारी का नाम शामिल किया गया.
भजनलाल ही क्यों? क्या सिर्फ ब्राह्मण कार्ड ही वजह है?जब भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान होता है. तब मंच पर ही वसुंधरा राजे मौजूद थीं. वो वसुंधरा जिनसे सबसे पहले जयपुर आकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने करीब 10 से 15 मिनट मुलाकात की और फिर वसुंधरा राजे को साथ लेकर ही रक्षा मंत्री बीजेपी विधायक दल की बैठक के लिए पहुंचते हैं और पर्ची में भजनलाल का नाम निकलता है. क्या ये राजस्थान की बदली हुई राजनीति का एक चैप्टर है...
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